Bheeg Gaya Mannहरिहर झा की कविताओं का संग्रह |
Common terms and phrases
अपना अपनी अपने अब आँसू आई आकाश आया इस उसके एक ऐसी और कभी कर करता करते करने कविता कहाँ का कि किया किसी की की तरह कुछ के के लिए के लिये कैसी कैसे को कोई कौन क्या क्यों क्योंकि खुद गई गए गया गये चल चुभन छोड़ जब जाए जाती जाने जीवन जो तक तुम तुम्हारी तू तो था थी थे दर्द दिया दिल दी दीवाली दुनिया दूर दे देख देखकर देखा देती देह दो नहीं ना नाम ने पड़ा पर पल पीड़ा प्यार प्रेम फिर बन बनी बस बहुत बाकी बात भर भले भाव भी भीतर मधुशाला मन माँ मिल मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मौत मौन यह यहाँ या याद ये यों रहा रही रहे रात लगा लिया ले लेने लो वह वे वो सब से हम हर हाथ हार हिंदी ही हुआ हुई हुए हुये हूँ है है और हैं हो होकर होली