Bheeg Gaya Mann

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Hind Yugm, Feb 22, 2014 - Hindi poetry - 160 pages

हरिहर झा की कविताओं का संग्रह 

 

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अपना अपनी अपने अब आँसू आई आकाश आया इस उसके एक ऐसी और कभी कर करता करते करने कविता कहाँ का कि किया किसी की की तरह कुछ के के लिए के लिये कैसी कैसे को कोई कौन क्या क्यों क्योंकि खुद गई गए गया गये चल चुभन छोड़ जब जाए जाती जाने जीवन जो तक तुम तुम्हारी तू तो था थी थे दर्द दिया दिल दी दीवाली दुनिया दूर दे देख देखकर देखा देती देह दो नहीं ना नाम ने पड़ा पर पल पीड़ा प्यार प्रेम फिर बन बनी बस बहुत बाकी बात भर भले भाव भी भीतर मधुशाला मन माँ मिल मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मौत मौन यह यहाँ या याद ये यों रहा रही रहे रात लगा लिया ले लेने लो वह वे वो सब से हम हर हाथ हार हिंदी ही हुआ हुई हुए हुये हूँ है है और हैं हो होकर होली

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