महाकविभासप्रणीतम् कर्णभारम्मध्यमव्यायोगश्च: एकाङ्करूपकम्Two one-act plays; episode from the Mahābharata. |
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... न दे पर कर्ण उसे समझाता है कि उसे मना नहीं करना चाहिए । महाभारत का कर्ण भी कीर्त्तिकामी है । नाटक का कर्ण भी " हतेषु देहेषु गुणाः ...
... न दे पर कर्ण उसे समझाता है कि उसे मना नहीं करना चाहिए । महाभारत का कर्ण भी कीर्त्तिकामी है । नाटक का कर्ण भी " हतेषु देहेषु गुणाः ...
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... नहीं चाह रहा अरे कर्ण ! नहीं चाह रहा । कर्ण - क्या नहीं चाह रहे महाराज ? और भी सुना जाए । मद की सरिताओं वाली कनपटियों वाले भंवरों ...
... नहीं चाह रहा अरे कर्ण ! नहीं चाह रहा । कर्ण - क्या नहीं चाह रहे महाराज ? और भी सुना जाए । मद की सरिताओं वाली कनपटियों वाले भंवरों ...
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... नहीं चाहता कर्ण ! नहीं चाहता । कर्ण - नहीं चाहते आप ? और भी सुना जाए । असीमित सोना देता हूँ । शक्र - ग्रहण करके चल दूंगा । ( कुछ चल कर ) नहीं ...
... नहीं चाहता कर्ण ! नहीं चाहता । कर्ण - नहीं चाहते आप ? और भी सुना जाए । असीमित सोना देता हूँ । शक्र - ग्रहण करके चल दूंगा । ( कुछ चल कर ) नहीं ...
Contents
Introduction 721 | 7 |
भूमिका 2232 | 22 |
Karṇabhāram Text and Translation 3671 | 36 |
Copyright | |
3 other sections not shown
Common terms and phrases
अच्छा अथवा अपने अरे अर्थात् आदरणीय आप इति इव इस प्रकार उस एक एव और कर दिया करके करता है करने कर्ण कर्णः कर्णभारम् का कि किं किया की के कारण के लिए को क्या खलु गए गया है घटोत्कच चाहिए जा जाए जाता जैसे जो तथा तरह तस्य ते तो फिर था दिया गया द्वारा द्वितीय नहीं नाटक नाम नायक नु ने पर परन्तु पिता पुत्र पृ पृ० पृष्ठ प्रथम ब्राह्मण भवतु भावः भास भी भीम भीमः भोः मत मध्यम मन मम माता माना में मेरे मैं यस्य सः यह या युद्ध रहा है रहे रूप रूपी लिया वन वह वा वाला वाले वृत्तम् वृद्धः शक्र शक्रः शब्द शल्य संस्करण सकता समय सहित साथ सूत्रधार से हम हि हिडिम्बा ही हुआ हुए हूँ हैं हो होता है होते होने Bhāsa Brāhmaṇa form Ibid Karna life Madhyama Revered Śalya verily